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चित्र पर कहानी में -डा अपूर्वा अवस्थी

*गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह 30 मई से 05 जून में आप सभी का स्वागत है* *आज दिनांक 01 जून को आनलाइन कार्यक्रम के तीसरे दिन चित्र पर कहानी*

एक बहुत सुंदर सा गांव था नाम था मधुरगांव।उस छोटे से गांव में थोड़े से लोग रहते थे जो वाकई में मधुर थे यानी कि सबके सुख दुख में साथ देने वाले भले लोग। हरा भरा गांव जहां हर प्रकार के पेड़ पौधे हरियाली सब्जियां फल फूल पशु पक्षी का कलरव और छोटे छोटे बच्चों का झुंड।सभी घरों के बड़े बुजुर्ग घर के बाहर चौपाल लगाते,घर में महिलाएं भोजन बनाती और गुनगुनाती रहतीं। तरूणीं अपने साथ श्रृंगार के साथ तुलसी के चौरे पर दिया जलातीं और युवक खेत पर फसल काटते। ऐसा मधुर गांव सबका मन मोह लेता था। एक दिन गांव में एक बड़ी सी गाड़ी आकर रूकी।उस गाड़ी में 8,10लोग थे गांव की नाप जोख करने लगे। चौपाल में बैठे बुजुर्ग आश्चर्य के साथ उन्हें देखने लगे ।तभी एक ने जाकर पूछा ,अरे भैया ये सब क्या नाप रहे हो कहां से आए हो? लेकिन उस आदमी ने कहा, तुम लोग जाओ हमें अपना काम करने दो। लेकिन वे बुजुर्ग वहीं खड़े रहे और उनकी सारी गतिविधियां देखते रहे। थोड़ी देर बाद सब गाड़ी में बैठकर चले गए। इस घटना से पूरे मधुर गांव में हलचल मच गई,सब एक दूसरे को बता रहे थे कि कुछ लोग बड़ी सी गाड़ी से आए थे और कुछ नाप जोख करके चले गए।

सब चिंतित थे क्या होगा कुछ दिन बाद फिर वे लोग आए इस बार उनके साथ एक अंग्रेज जैसा आदमी भी था और वो इशारे करके उन्हें कुछ समझा रहा था, बेचारे मधुर गांव के लोग कुछ समझ नहीं पा रहें थे कि ये कौन है और क्यों आए। फिर कुछ दिन बाद गांव के पास जहां बच्चे रोज खेलते थे वहां एक बड़ा सा ट्रक आया उसमें बहुत सारे लोग फावड़ा आदि लेकर आए और उस। जगह को खोदने लगे।रात भर में पूरी जगह खोद दी और सुबह वहां एक बड़ी सी चिमनी बनने लगी। पता चला कि वहां एक फैक्ट्री लगेगी और जो गांव के लोग चाहे उन्हें नौकरी भी मिलेगी। अब तो रातोंरात फैक्ट्री बन गई एक दिन उद्घाटन भी हो गया गांव वालों को भी लड्डू मिले‌ धीरे धीरे फैक्ट्री से उठते धुएं ने मधुर गांव का शुद्ध वातावरण जहरीला कर दिया, बच्चे बीमार होने लगे बुजुर्ग खांसने लगे ,सुंदर तरुणियों के चेहरे काले हो गए और बच्चे, बच्चे तो मास्क लगाने लगे।

तभी बच्चों ने किताब में पढ़ा कि पेड़ लगाने से इन जहरीली गैसों और धुएं से राहत मिलेगी फिर क्या था सभी बच्चों ने मिलकर एक योजना बनाई। रोज एक बच्चा फैक्ट्री के पास रेतीली बंजर ज़मीन में एक बाल्टी  में पानी और कुछ बीज लेकर मास्क लगाकर जाता और कोई समझ ना पाए खेलने का दिखावा कर के उस जमीन में कुछ बीज डाल आता। बच्चों को उम्मीद थी जब ये छोटे छोटे बीच एक साथ पौधे बनकर उगेंगे तो हमारा मधुर गांव का वातावरण फिर शुद्ध हो जाएगा।

डा अपूर्वा अवस्थी 97941 18960

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