पुस्तक चर्चाकोणार्कडा संजीव कुमारइंडिया नेट बुक्स ,नोयडामूल्य १७५ रु , पृष्ठ ११६चर्चा … विवेक रंजन श्रीवास्तव , भोपाल कोणार्क पर हिन्दी साहित्य में बहुत कुछ लिखा गया है . कोणार्क मंदिर के इतिहास पर परिचयात्मक किताबें हैं . प्रतिभा राय का उपन्यास कोणार्क मैंने पढ़ा है . जगदीश चंद्र माथुर …
Read More »अपने अपने मकड़जाल-अरुण अर्णव खरे
“हाऊ आर यू वर्जिन किंग” – राजीव राठी ने पवन मिश्रा को छेड़ते हुए कहा – “यार, तूने शादी नहीं की, अभी तक कुँवारे के कुँवारे हो .. बिना पार्टनर के जिन्दगी कितनी अधूरी और रंगहीन होती है,यह अब तक तुम समझ ही गए होगे ।” “किंग विंग नहीं, छड़े …
Read More »बचपन की सच्ची भक्ति-सुधा दुबे
भीषण महामारी में पढ़ाई ना हो पाने के कारण स्कूल की परीक्षाएं किसी तरह समाप्त हुई। सभी शिक्षक उत्तर पुस्तिकाएं जांच कर परीक्षा परिणाम बनाने में लगे थे शाला की उत्तर पुस्तिका जांचने के पश्चात मास्टर दीनानाथ शाम के समय अपने घर लौट रहे थे। तभी अपनी बस्ती के मंदिर …
Read More »पहला और आखिरी प्यार-सोनिया
पिंकी एक सीधी साधी, भोली भाली और सुशील लड़की थी । वह एक प्राइवेट टेलीकॉम कम्पनी में काम करती थी । अजय भी उसी कम्पनी में काम करता था ।अजय पिंकी की मासूमियत से बहुत आकर्षित हुआ और मन ही मन पिंकी को चाहने लगा । जबकि अजय को यह …
Read More »तिरंगा झंडा-मीरा जैन
पाठशाला में पुरस्कार वितरण के दौरान विजेता बच्चों को प्रमाण पत्र के साथ उनमे देशभक्ति की भावना को और अधिक सशक्त बनाने हेतु नगीने जड़ित फ्रेम में अति आकर्षक तरीके से सुसज्जित तिरंगा झंडा उपहार स्वरूप दिया गया । समस्त पुरस्कार प्राप्त बच्चे खुशी से चहक रहे थे …
Read More »खुशी का खजाना-वंदना पुणतांबेकर
राजा धुमसेन ओर रानी तारामती के वैभव की चर्चा दूर-दूर के राज्यों तक फैली हुई थी लेकिन राजा धुमसेन बहुत ही क्रोधी ओर लालची स्वभाव का था।उनके दुःख का एक ही कारण था कि उसे कोई संतान नही थी वह संतान की चाह में बहुत ही व्याकुल रहता।ना जाने कहाँ-कहाँ …
Read More »बेकार की बातें -वंदना
मैं खाट पर पड़े-पड़े धूप में बैठा मोबाइल देख रहा था। मां अपनी दिनभर की दिनचर्या में व्यस्त थी तभी घर का दरवाजा बजा।मां ने बिना देखे ही डिब्बे से दो रोटी निकाली और दरवाजा खोलने चली गई।अब उसके हाथ पहले की तरह काम नहीं करते थे और अब पैरों …
Read More »काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़े रोचक तथ्य…
1. सर्वप्रथम प्रयाग राज की सड़कों पर अपने अभिन्न मित्र बाबू गंगा प्रसाद वर्मा और सुंदरलाल के साथ घूमते हुए मालवीय जी ने हिन्दू विश्वविद्यालय की रूपरेखा पर विचार किया। 2. 1904 ई में जब विश्वविद्यालय निर्माण के लिए चर्चा चल रही थी तब कइयों ने इसकी सफलता पर गहरा …
Read More »मैं पिंकी हूँ
पिंकी प्रजापति मैं एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में पैदा हुई, पिताजी तीन भाई थे । भाइयों में सबसे बड़े हमारे ही पिता जी थे जो पेशे से होमगार्ड और किसान थे । मैं उनकी पहली संतान थी । सबसे बड़े होने के नाते मुझे बहुत जल्दी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया …
Read More »चिराग तले अंधेरा -मिन्नी मिश्रा
मिन्नी मिश्रा रात होने वाली थी।झुग्गी में रहने वाले दीपक की नजरें बार बार सामने खड़े आलीशान बंगले पर जाकर चिपक जाती। वाह!कितने अमीर हैं ये लोग ,भाग्य के धनी भी! सब कुछ है इनके पास।वह बंगला रंग-बिरंगी चाइनीज लड़ी से सजकर जगमगा रहा था! अनारदाने और रॉकेट की तेज …
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