अपने घर की शैव संस्कृति के कारण मेरा कभी अन्य संस्कृति के लोगों से ज्यादा मिलना जुलना नहीं हो पाया। पिताजी हिंदी के प्राध्यापक होने के कारण अपने क्षेत्र के पहले निशुल्क हिंदी की शिक्षा देने वाले गुरु जी के रूप में विख्यात थे ।दूर-दूर से हिंदी की समस्याओं का …
Read More »हृदय हमेशा सच बोलता है-डॉ. ज्योति मिश्रा की कहानी
हरी नाम का एक वृद्ध व्यक्ति था। वह बहुत गरीब था। वह अपनी गुजर-बसर भीख मांग कर करता था ताकि उसे रात भर सड़क पर ना सोना पड़े।एक सुबह, उसने हमेशा की तरह अपनी चटाई बिछाई, भीख माँगने के लिए अपना प्याला रखा और माँगने के लिए याचना करने लगा। …
Read More »जौहर – नारी अस्मिता का हथियार या भावनात्मक आत्महनन
जौहर शब्द जीव और हर से मिलकर बना है , जिसका तात्पर्य है , अपनी अस्मिता की अपनी पवित्रता की सुरक्षा के लिए किया गया आत्मोसर्ग | यह भारतीय पुरातन संस्कृति की उच्चतम मान्यताओं और परम्पराओं में से एक कही जा सकती है | जिसमे अपनी सात्विकता और यौनिक शुचिता …
Read More »मेरी आजी -गीता चौबे
संस्मरण – बात उन दिनों की है जब हम छुट्टियों में अपने गाँव गए हुए थे। तब हमें हमारी छुट्टियाँ गाँव में ही बितानी होती थी। तब किसी पर्यटन स्थल पर जाने का चलन नहीं था। बहुत हुआ तो नजदीक के तीर्थ-स्थान पर चले गए। पर ऐसा बहुत कम होता था; …
Read More »कहानी दयाल सिंह
वो गाँव के तीन पीढियों के सेतु थे। चार बीसी और तीन साल से अधिक की जात्रा (अवधि) पूरी कर चुके थे। पहला विश्व युद्ध, दूसरे विश्व युद्ध सहित, भारत पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान के कत्लेआम के जीवित दस्तावेज थे वो। देश दुनिया के घाट घाट का पानी पीकर …
Read More »जिंदगी के रंग-व्यग्र पाण्डे
मैं मेरी किशोरावस्था से एक विशेष नाम का जिक्र सुनता रहा । वो नाम हमारे क्षेत्र का जाना-पहचाना नाम था । जब भी साहित्य पर चर्चा होती तो उनकी रचनाएँ अवश्य चर्चा में आती । उन्हें साहित्य के कई बड़े-बड़े सम्मान भी मिल चुके थे ।मैं बड़ों की बातों को …
Read More »क्या यही प्यार है- अशोक
एक प्रश्न बार-बार बेचैन किये जा रहा है कि ऐसा क्यों हुआ ? और फिर वह सुरसा के मुँह की तरह फैलता ही जाता है या फिर कोढ़ की तरह सारे तन गलाये डाल रहा है। उफ़्फ़॥ जैसे पोर-पोर गल-गल कर गिरी पड़ रही है। समझ में नहीं आता कि …
Read More »नंदलाल का भय
भय अन्तर्मन कि गहराई से उतपन्न वह विचार है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को झकझोर देता है और विचारों को अशांत उद्वेलित करता है विचारो कि उतपत्ति मनुष्य कि कल्पनाशीलता कि योग्यता है जो उसे अपने परिवेश परिस्थितियों के कारण उसे विवश करती है जाग्रत करती है एव उसके विचारों …
Read More »प्रकृति मै और यायावरी
पूर्वोत्तर के सभी राज्य हमेशा से मेरे लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। वहां के अनछुए ऊँचे –ऊँचे पहाड़, अलग-अलग तरह की वनस्पति, पहाड़ों से गिरते झरने, चट्टानों को काटकर बनाई हुई गुफाएं, इन सब के अलावा कल-कल कर बहती हुई नदियाँ जिनमें किसी भी तरह की गंदगी या …
Read More »राष्ट्रीय कवि दिनकर -सीमा रानी
हमारे देश में एक से बढ़कर एक साहित्यकारों का जन्म हुआ। सभी अपने समय के अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली लेखक थे, जिनका योगदान हिंदी साहित्य में अद्वितीय है। उन्हीं में एक नाम आता है – रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का। हिंदी साहित्य के महान कवि और निबंधकार, जिन्हें राष्ट्रकवि के रूप में …
Read More »