Breaking News

गर्मी की छुट्टी-आशा

*कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01*

विशाखा जब से अपनी सहेलियों के संग “दा केरला स्टोरी” फ़िल्म देखकर आयी है। तब से ही उसके हृदय में विचारमंथन चल रहा है। फ़िल्म में बतायी गयी बातों पर विचार करने पर उसे लगा कि जो प्रथम कदम इस दिशा में बढाया जाता है। उसका प्रयास तो उसके साथ भी किया जा चुका है। वो तो धन्यवाद उसकी नानी का, जो गर्मियों के अवकाश में उनके संग रहने पर उन्होंने धर्म की जानकारी किस्से,कहानियों के रूप में उसे दी।
उसे याद आया कैसे विद्यालय के लंच ब्रेक के समय जब वो अंकिता, सोनिया और फारिजा बैठ कर भोजन करते हुए बातें कर रही थी। तभी अचानक फारिजा भगवान श्रीकृष्ण को आरोप के कटघरे में खड़ा करते हुए उनके सोलह सौ रानियों के प्रकरण पर प्रश्न उठाने लगी थी। अंकिता और सोनिया को तो कुछ नहीं पता था तो वो फारिजा को मूक समर्थन देने लगी।पर विशाखा को उसकी नानी ने ये प्रकरण कथा के रूप में सुनाया था तो उससे रहा न गया और उसने सकारात्मक दृष्टिकोण के संग प्रसंग को बता कर फारिजा को निरुत्तर कर दिया। अंकिता और सोनिया ने उस दिन विशाखा की बहुत प्रशंसा की और पूछा-तुम्हें ये सब कैसे पता? विशाखा मुस्कुराते हुए बोली- जब मैं गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर जाती हूँ।तब नानी मुझे ऐसी बातें बताती रहती हैं।
पहले तो मुझे उनकी ये बातें पसंद नहीं आती थी।पर आज सोचती हूँ तो उनको दिल से धन्यवाद निकल रहा है। उनके कारण ही आज फारिजा को उत्तर देने में सफल हुई। फिर उस दिन के बाद फारिजा ने ऐसी कोई बात नहीं की।
आज फ़िल्म देखने के बाद आज विशाखा को लग रहा है कि उसे अपनी पहली पीढ़ी से कितना कुछ सीखने की आवश्यकता है। ताकि कभी जीवनपथ पर वो गुमराह न हो सके। साथ ही उसे याद आया कि उसकी नानी को कितना कुछ अलग-अलग तरह का बनाना आता है। चाहे वो नये-नये व्यंजन हो, कढ़ाई- बुनाई हो या पुरानी बेकार वस्तुओं से नए प्रकार की उपयोग की वस्तु बनाना। इसके लिए अब वो गर्मी की छुट्टीयों को सदुपयोग करेगी। समर कैंप के नाम पर या क्रैश कोर्स के नाम पर हम लोगों को यही चीजें तो सिखायी जाती हैं। वो भी मोटी फीस लेकर, जबकि हमारी दादी- नानी के पास ये ज्ञान भरा पड़ा है। उनसे ये मुफ्त में सीखा जा सकता है।
साथ ही अब वो अपनी मम्मी की भी बातों को ध्यान से सुना और समझा करेगी। आखिर उनके पास भी जीवन के अनुभवों बहुत सी शिक्षा होगी। जो उसके भावी जीवन के लिए उपयोगी होगी। उसने अपनी इस बार की गर्मी की छुट्टियों का पूर्णरूपेण सदुपयोग करने का निर्णय किया। फिर अपनी दोनों सहेलियों को भी गर्मी की छुट्टियों का सदुपयोग करने की सलाह देने फोन की ओर बढ़ चली। उसकी दोनों सहेलियाँ भी उसकी बात से सहमत हो गयी।अब उन्होंने निश्चय किया कि वो जो सीखेंगी एक दूसरे को भी बतायेगी। साथ ही इसको अन्य लोगों को भी सिखाने का प्रयास करेंगी।
इति श्री

आशा झा सखी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)

About sahityasaroj1@gmail.com

Check Also

डॉक्टर कीर्ति की कहानी सपना

डॉक्टर कीर्ति की कहानी सपना

कहानी संख्‍या 50 गोपालराम गहमरी कहानी लेखन प्रतियोगिता 2024 बात उसे समय की है जब …

3 comments

  1. बहुत ही सुंदर, ओर उच्च विचारो के साथ इस कहानी कि शुरुआत कि गीई ,जो वाकई हमारी नयी पीढ़ी को एक संदेश देना चाह रही है ये कहानी काबिलियत तारिफ़ है आप आगे भी ऐसी रचनाएँ प्रस्तुत करते रहे

  2. आपके उच्च विचारों को पढ़कर, मुझे नयी अनुभूति का अहसास हुआ है, जो धारा आपने अपने शब्दों कि बनायी है वो काबिलियत तारिफ़ है, आगे भी ऐसी कहानियाँ आप भेजते रहे ,जिससे कुछ नया सिखने को मिले!!

  3. Awesome story
    Hatts off Asha ji
    Knowledge full story

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *