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रावण जिन्दा है

(कविता)

रावण जिन्दा है अभी भी 

ये सच है   

पुतला जलाकर 

मान लेता है आदमी 

रावण मर गया 

परन्तु घर-घर में 

हर डगर में 

कुदृष्टि से 

फब्तियों की वृष्टि से 

जबर्दस्ती से 

बेटियों पर,बहुओं पर,

उम्र की बंदिश बिना

करता रहा है 

अत्याचार, अनाचार 

सदियों से आज तक 

फिर कैसे कह दें

रावण जल गया 

जिन्दा है रावण अभी भी 

दस सिर नहीं 

दस अवगुण बहुत है 

रावण को जिन्दा रखने के लिए… 

एक प्रश्न कोई हल कर दो ? (कविता) 

“”””””””””””””” “”””””””””””””””””””

एक प्रश्न कोई हल कर दो ?

झूठ बड़े सच छोटे क्यूँ ??

चाहे देख लो किताबों में 

या फिर दशहरे मेले में 

दृश्य-पृष्ठ दोनों में भारी   

रावण छू रहा आसमान को

खड़े राम आदमकद लेकर 

प्रश्न वही कोई हल कर दो ?

रावण बड़ा राम छोटे क्यूँ ??

झूठे पथ पर चलने वाला

मंजिल क्यूँ पा लेता जल्दी 

सच मार्ग पंथी की ऐडी

क्यू घिसकर हो जाती टेड़ी  

झूठ में अवगुण अधिक भरे हैं 

सच भी गुणों से नहीं है खाली

फिर ये अंतर ये मंतर कैसा ? 

ये मंजर समझ ना आते क्यूँ ??

एक प्रश्न कोई हल कर दो ?

झूठ बड़े सच छोटे क्यूँ ??

रावण बड़ा राम छोटे क्यूँ??

        “””””””””””””””””

                               – व्यग्र पाण्डे 

                    कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी

                           (राजस्थान) 322201

                     मोबाइल नंबर : 9549165579

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