सरकारी फ़रमान चला है राजा का
कुछ भी कहने से पहले पूछो हमसे।
पत्रकार हो तो क्या तुम खबरें छापोगे ?
सत्ता की तारीफ़ों के इश्तिहार लिखो,
जब भी कुछ होते देखो गड़बड़-झाला
तुरंत वहीं शासक की जय-जयकार लिखो।
लिखा यदि कुछ ऐसा कि छवि धूमिल हो,
लिखा यदि कुछ ऐसा जो सरकार ना चाहे,
तो फिर समझो कलम तुम्हारी तोड़ी जाएगी,
अख़बार तुम्हारा रद्दी होगा, स्याही फेंकी जाएगी।
तुम जब भी सोचो लिखने को जनता की आहें,
तुम जब भी सोचो लिखने को जनता के आँसू,
तो राजा की बात याद कर लेना फिर से
लोकतंत्र के इस नए गणित से चलना अब से।
पर पत्रकार हो क्या तुम इस से डर जाओगे ?
लिखा नही यदि सच तुमने तो मर जाओगे।
यदि बंद हुई इन फ़रमानों से आवाज़ तुम्हारी,
कलम झुक गयी जो सत्ता के आगे,
तो छलनी हो जाएगी आत्मा लोकतंत्र की,
वाक्-स्वतंत्रता की लाज बचाना अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी।
-शशीधर चौबे
C/o वीपी राय
बंगाली गली, सर्वोदय नगर
अल्लापुर, प्रयागराज
211006