- पात्र
- गंगा (नदी की आत्मा)
- आदित्य (युवा पर्यावरण विद्)
- नंदिनी (आदित्य की बहन)
- पंडित जी (गाँव के पुजारी)
- गाँव के लोग (कुछ अतिरिक्त पात्र)
दृश्य 1: गंगा तट पर
(गंगा के तट पर एक ओर लाशें जल रही हैं और दूसरी ओर लोग कचरा प्रवाहित कर रहे हैं। गंगा का पानी गंदा और दूषित है। नदी का दर्द स्पष्ट है।)
गंगा: (दुखी स्वर में, रोते हुए) हे मानव, यह क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ, मुझे इस तरह दूषित मत करो। तुम्हारे पूर्वज मेरी पूजा करते थे। मेरे जल के द्वारा सब चीजों का शुद्धिकरण करते थे।और आज तुम सब मिलकर मेरा ये हाल कर रहे हों।
आदित्य: (चौंककर, गंगा की आवाज़ सुनते हुए) नंदिनी, क्या तुमने सुना? गंगा माँ रो रही हैं।
नंदिनी: (चिंतित होकर) हाँ भैया, गंगा की स्थिति बहुत भयावह होती जा रही है। हमें मिलकर कुछ करना होगा।
आदित्य: (संकल्प के साथ) हमें पंडित जी से मिलना चाहिए। उनकी बात सभी मानते हैं, वे गाँव के लोगों को समझा सकते हैं।दृश्य 2: मंदिर परिसर (आदित्य और नंदिनी मंदिर में पंडित जी से मिलते हैं। पंडित जी पूजा कर रहे हैं।)
आदित्य: (नम्रता से) पंडित जी, हमें आपसे कुछ महत्वपूर्ण बात करनी है।
पंडित जी: (मुस्कराते हुए) कहो बेटा, क्या बात है?
नंदिनी: (उत्साहित होकर) पंडित जी, गंगा की हालत बहुत खराब हो गई है। हमें गाँव वालों को जागरूक करना होगा। क्या इसमें आप हमारी मदद कर सकते हैं?
पंडित जी:(गंभीर होकर) हाँ बेटा, गंगा हमारी माँ है। उसे बचाना हमारा धर्म है। हमें इसके लिए सारे गांववालों को एकजुट करना होगा।
दृश्य 3: गाँव की सभा
(गाँव के लोग एकत्र होते हैं। आदित्य, नंदिनी और पंडित जी सभा का नेतृत्व कर रहे हैं।)
पंडित जी: (उद्घाटन करते हुए) भाइयों और बहनों, गंगा हमारी जीवनरेखा है। हमें इसे स्वच्छ और पवित्र रखना चाहिए।प्रकृति की इस अनमोल धरोहर को बचाने के लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।
आदित्य:(जोर से) हम सभी को मिलकर गंगा की सफाई करनी होगी। यह केवल एक नदी नहीं है, यह हमारी संस्कृति की पहचान है।
नंदिनी:(उत्साहित होकर) हमें एक सफाई अभियान शुरू करना होगा और लाशों के दाह संस्कार के लिए उचित व्यवस्था करनी होगी ताकि गंगा दूषित न हो।
गाँव के लोग: (समर्थन में) हाँ, हम सभी आपके साथ हैं। गंगा की सफाई हमारा कर्तव्य है।हम अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेंगे।
दृश्य 4: गंगा की आत्मा का प्रकट होना (गंगा के तट पर सफाई अभियान चल रहा है। सभी मिलकर सफाई कर रहे हैं। तभी गंगा की आत्मा प्रकट होती है।)
गंगा: (आशीर्वाद के स्वर में) मेरे बच्चों, तुम्हारे प्रयास से मुझे बहुत खुशी हो रही है। यह समर्पण और एकता ही मुझे पुनः पवित्र बनाएगा।
आदित्य: (नम्र होकर) माँ गंगा, हमें मार्गदर्शन दें। हम आपके लिए और क्या कर सकते हैं?
गंगा:(प्रेरणादायक स्वर में) तुम्हें हमेशा मेरी स्वच्छता का ध्यान रखना होगा। प्रदूषण रोकने के लिए उपाय करने होंगे और सभी को जागरूक करना होगा। दाह संस्कार के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएँ बनानी होंगी ताकि मेरी पवित्रता बनी रहे। मेरे तट पर हरी-हरी सब्जियाँ और पौधे लगाओ। घाट की सफाई सालों भर रहेगा तो यहाँ की ठंडी ठंडी हवा सभी को अच्छी लगेगी।
छठ जैसा महापर्व मेरे तट पर ही तो होता है। (माँ गंगा खुश होकर हंसती है )
नंदिनी:(उत्साहित होकर) हम यह सुनिश्चित करेंगे कि गंगा हमेशा स्वच्छ और पवित्र बनी रहे।और उनकी गरिमा बनी रहे।
दृश्य 5: गंगा का पुनरुद्धार
(गाँव के लोग मिलकर गंगा की सफाई पूरी करते हैं। दाह संस्कार के लिए उचित व्यवस्थाएँ बनाते हैं। गंगा का पानी फिर से साफ और निर्मल हो जाता है।)
गंगा:(प्रकट होकर) मैं तुम सबके प्रयासों से प्रसन्न हूँ। हमेशा याद रखना, यह नदी तुम्हारी संस्कृति और आस्था की धरोहर है।
पंडित जी:(समापन करते हुए) हमें माँ गंगा की रक्षा इसी तरह से करनी होगी। यह हमारी जिम्मेदारी है।
आदित्य: (आभार व्यक्त करते हुए) धन्यवाद माँ गंगा। हम हमेशा आपकी पवित्रता को बनाए रखेंगे।
समाप्त
(सभी पात्र गंगा के किनारे खड़े होकर गंगा की महत्ता को समझते हैं और एक नया संकल्प लेते हैं।)
सीमा रानी
पटना