गर्मी की तपन लूं भरी उमस ने दम निकला है। ऐसी कूलर भी लगाए, मगर कोई काम नहीं आया है। बहुत समय पहले हम अपनी दीदी के ससुराल शादी की सालगिरह मनाने गए थे। गर्म हवाओं से बदन जल रहा था, 1 दिन में ही धमोरिया ने बदन लाल कर …
Read More »पर्यावरण पर संस्मरण -हेमलता दाधीच
आज बचपन की एक घटना याद आई जो गाँव जाते ही याद आ जाती है। पर्यावरण के पांच तत्वों में पानी की भी सबसे अहम भूमिका है। पेड़ो को हरा-भरा रखने बडा़ होने के लिये पानी सींचना आवश्यक बहुत है वरना वो सूख जायेगें। इसी तरह इस भयानक लू लपटों …
Read More »पर्यावरण पर संस्मरण-सीमा सिन्हा
इस वर्ष की गर्मी ने मेरे जीवन में एक विशेष स्थान बना लिया है। बचपन में गर्मी का मौसम अक्सर छुट्टियों और मौज-मस्ती का समय होता था। आइसक्रीम, आम के फल, और दादी के हाथ की बनी ठंडी खीर, ये सब चीजें गर्मी के दिनों को खुशनुमा बनाती थीं। परन्तु …
Read More »पर्यावरण पर संस्मरण-विजय मिश्र
बात लगभग साठ वर्ष पहले की है।गर्मियों में तब से लेकर अब तक मैं अपने गाँव में ही रहता आया हूँ।मेरा बचपन गाँव में ही बीता है।मुझे वे दिन याद हैं जब मैं अपने सहपाठियों के साथ मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए पैदल जाया करता था।हम लोग गर्मी के …
Read More »मानव और पर्यावरण का संबंध-मंजू राज
मानव और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध एक वो समय था ,जब वृक्षों को अपना मित्र , साथी और हमसाया समझा जाता था औरउन्हें कटने से बचाने के लिए आंदोलन भी चलाया गया ।ताकि हमारे आस – पास का वातावरण साफ़ , स्वच्छ और पवित्र बना रहे ।हर प्राणी मात्र शुद्ध …
Read More »ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयवब्रा- नंदलाल
ब्रह्मांड के दो प्रमुख अवयव है जो परब्रम्ह परमात्मा कि कल्पना रचना कि वास्तविकता है प्रथम प्रकृति है जो ब्रह्मांड का आधार है जिसमे पंच तत्व महाभूतों का सत्यार्थ परिलक्षित है जिसका प्रवाह पवन,पावक ,शून्य (आकाश) स्थूल (पृथ्वी) जल प्रावाह का सत्य है इन्ही के आधार पर प्राण का अस्तित्व …
Read More »साइबर जालसाजो से सामना-रोहित
रोहित मिश्रा वैसे तो में सोशल मीडिया प्लेट फार्म का अधिक इस्तेमाल नहीं करता हूं, पर फिर भी कभी कभार फेसबुक लाइट डाउनलोड करके अपना फेसबुक एकाउंट देख लिया करता हूं, और फिर काम होने के बाद फेसबुक एकाउंट को रिमूव भी कर देता हूं, ऐसे ही एक दिन मैंने …
Read More »पर्यावरण संरक्षण-शिल्पी पचौरी
ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’ इस श्लोक का अर्थ है कि हम प्रकृति से उतना ग्रहण करें जितना हमारे लिए आवश्यक हो तथा प्रकृति की पूर्णता को क्षति न पहुंचे। लेकिन आज का मानुष लोभ, लालसा में लिप्त होकर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है जिसके फलस्वरूप रेत …
Read More »भारत में सुरक्षित पर्यावरण के लिए चुनौतियां और समाधान
डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी परिचयहमारा देश भारत, अपने विशाल और विविध परिदृश्य के साथ, अनेक पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण और बढ़ती जनसंख्या देश के प्राकृतिक संसाधनों को भी प्रभावित करती है, जिससे प्रदूषण, वनों की कटाई और जैव विविधता की समस्याएं उत्पन्न …
Read More »माइक्रोफाइनेंस सफल जीवन की आसान राह-मनोज
आज के समय में जब बेरोजगार और बेरोजगारी चुनावी शब्द बन कर रहे गये हो। इनकी याद शासन-प्रशासन को केवल चुनाव में आती हो। बेरोजगार आर्थिक समस्या से, मार्गदर्शन के आभाव में, टीम वर्क की कमी से जूझते हुए जब अपनी जिन्दगी से परेशान और हताश हो जाता है। ऐसे …
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