झूठ मक्कारों का बेड़ा पार है। सत्यवादी का ही बंटाधार है। कंटकों का है बिगड़ता कुछ नहीं पुष्प पर मौसम की पड़ती मार है। धनी – निर्धन के नियम होते अलग पक्षपाती न्याय को धिक्कार है। मिलन स्त्री – पुरुष का फैशन बना हो रहा अब प्यार का व्यापार है। …
Read More »कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02(01) लेख-आलेख विषय- जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द।(02) रचना शीर्षक – दिल की बात।विधा- गीत और अतुकांत नोट अतुकांत में सपाट बयानी न हो, स्वीकार नहीं होगी।(03) कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्दभेजने की अंतिम तिथि-: 01 …
Read More »परिणाम कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -01
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -01(01) लेख-आलेख विषय- फिटनेस जरूरी क्यों?। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द।(02) रचना शीर्षक – मेरा मन।विधा- गीत और अतुकांत नोट अतुकांत में सपाट बयानी न हो, स्वीकार नहीं होगी।(03) कहानी शीर्षक – गरमी की छुट्टी। शब्द सीमा – 500 शब्दभेजने की अंतिम तिथि-:20 मई 2023लेखक/लेखिका, रचनाकार अपने …
Read More »फिटनेस क्यों जरूरी-डाॅ चन्द्रेश
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -1 शारीरिक और मानसिक फिटनेस एक स्वस्थ जीवन शैली के दो महत्वपूर्ण घटक हैं। शारीरिक फिटनेस से तात्पर्य किसी व्यक्ति की बिना किसी थकान के दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता से है, जबकि मानसिक फिटनेस से तात्पर्य स्वस्थ और सकारात्मक मन की स्थिति को बनाए …
Read More »मेरा मन-भाऊराव
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 मेरा मन उतना चंचल है।। हिमगिरि के उत्तुंग शिखर से,गाया करती मधुरिम स्वर से,झरने जो झरते झर-झर से,धारा करती ज्यों कल-कल है।मेरा मन उतना चंचल है।। वनराजा का सुनकर जब स्वर,मृग को जब भर जाता है डर,और काँपने लगता थर–थर,उसका वह जो विस्मित पल है।मेरा …
Read More »मेरा मन- सीमा
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 शीर्षक– मेरा मन मेरा मन जहाज़ का पंछी उड़ता फिरता यहाँ वहाँ कभी पहुँच जाता बचपन में आकांक्षाओं के उपवन में सपनों के तुकडे चुनता मन जोड़ने की कोशिश है करता फिर अम्मा की आवाज़ है आती लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी उड़ता फिरता यहाँ वहाँ। कभी पहुँच जाता विद्यालय वादविवाद प्रतियोगिता में नारी स्वतंत्रता पर मैडल जीतता पति की चाय की गुहार सुन लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी उड़ता फिरता यहाँ वहाँ कभी थिरकता नृत्य मंच पर कत्थक की सोलह ताल लिये मंत्रमुग्ध कर्तल ध्वनि सुनता तंद्रा टूटती बच्चों की पुकार पर लौट आता अपने जहाज़ पर मेरा मन जहाज़ का पंछी उड़ता फिरता यहाँ वहाँ सपनों के तुकडे लाया मन धो पोंछ कर साफ़ किये नई इबारत लिखी सपनों की पति की प्रगति, मेरी प्रगति, संतान का सुरक्षित भविष्य। अम्मा और बाबा की सेवा घर का मान ही मेरी आन। …
Read More »गर्मी की छुट्टी-सीमा
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 आदरणीय माँ ,चरण वंदनमहानगर की पचासवीं मंज़िल पर रहते रहते यहीं की मशीनी दुनियाँ में लिप्त हो गया। एक दिन ऑफिस से आ रहा था तब रेडियो पर एक विज्ञापन सुना- “ग्राम अनुभूति पार्क, जी हाँ, यहॉं आकर आप भूल जाएँगे प्रदूषण भरे महानगर को।स्वस्थ …
Read More »गर्मी की छुट्टी-अंजना
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 बोर्ड परीक्षा का आखिरी दिन होने से बच्चे बहुत खुश थे।अमन और विनय अपने मम्मी पापा को देखकर उछल पड़े। उनके पापा ने उन्हें गले लगाते हुए कहा ” तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है। ” दोनों की मम्मी ने एक पेपर दिखाते हुए बताया – ” …
Read More »मेरा मन-अंजना बाजपेई
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -01 यादों के बादल पर चढ़कर,आज मेरा मन उड़ता जाए। फिर से दोहराएगा का बचपन , परी कथा किस्सों वाला। चांद सितारों से लाएगा , प्यार सभी हिस्सों वाला। बाबा की थपकी से सीखी, कोई धुन फिर गाता जाए। यादों के बादल पर….. चूरन चटनी की …
Read More »गर्मी की छुट्टी-उपासना
कमलेश द्विवेदी कहानी प्रतियोगिता -01 इकलौते बेटे के सिंगापुर बस जाने के बाद सुमित्रा ताई और अशोक जी इंदौर में अकेले पड गए थे। प्रतिदिन मंदिर जाना, सुबह-शाम घूमना और फिर बालकनी में बैठकर बाहर देखना इस तरह अपना टाइम पास किया करते थे। गर्मी की छुट्टियों में दादी-नानी के …
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