“घर की मुर्गी दाल बराबर…” सौम्या बड़बड़ाते हुए काम निपटाती जा रही थी। ऐसे में कभी कुछ गिरता, कभी कुछ । विवेक जो कान में ब्लू-टुथ लगाकर आराम से मोबाइल देख रहा था। उसका ध्यान तब इस तरफ गया, जब उसके पास धम्म से कुछ गिरने की आवाज आयी, वह …
Read More »तार सप्तक की कवयित्रियों के कविता में स्त्री-विमर्श-डॉ. माया दुबे
प्रस्तावना– विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के निर्माण में स्त्री का योगदान महत्वपूर्ण है। किसी भी राष्ट्र की संस्कृति एवं सभ्यता के विरमान में स्त्री की भूमिका नि:संदेह अग्रणी है । भारत में स्त्री को देवी के रूप में पूजा जाता था, ईश्वर की कल्पना अर्धनारीश्वर के रूप में है। स्त्री …
Read More »हम ऐसे क्यों हैं-नरेन्द्र कुमार
हमारा कहने का अभिप्राय है विभिन्नता , कोई काला , कोई गोरा , कोई लम्बा, कोई नाटा प्रत्येक मानव , यहाँ तक प्रत्येक जीव-जंतु में भी विभिन्नता पाई जाती है। जब ऊपरी बनावट और आंतरिक संरचना को छोड़ दे तो हम देखते हैं कि सभी के स्मृति में भी अंतर …
Read More »बहन की डोली
नवंबर माह की गुलाबी ठंड से मौसम खुशनुमा हो रहा था ।एसे में स्वर्गीय माथुर साहब की बेटी की शादी की रौनक माहौल को और आकर्षक बना रही थी ,दरवाजे पर सजावट हो रही थी, अंदर से ढोलक की थाप पर सुहाग बन्नी गाई जा रही थी । मगर मिसेज …
Read More »अलविदा कुंती-कमल चंद्रा
“कुंती! ये कॉफ़ी दीदी को रूम में दे आना”। “कुंती! ये फाइल जरा टेबिल पर रखदो न”। “कुंती! जरा एक ग्लास पानी तो पिला दे यार”। घर में सभी से चर्चा कर उसे बुलाने का कह दिया। अगले दिन शाम को ही चौकीदार दादा अपने साथ 13-14 साल की गोरी …
Read More »समीक्षा- गुलाबी कमीज़ रहस्य रोमांच से भरपूर उपन्यास
उपन्यास-गुलाबी कमीज़ उपन्यासकार- कामना सिंह प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, 18- इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोधी रोड, नई दिल्ली- 110033 मोबाइल नंबर 93505 36020 पृष्ठ संख्या- 135 मूल्य- ₹270 बच्चों के लिए उपन्यास लिखना टेढ़ी खीर है। इसको लिखते समय बहुतसी बातों का ध्यान में रखना पड़ता है। उसका कथानक बड़ों से अलग होता …
Read More »यौन अपराध-अशिक्षा से बढ़ते दुष्कर्म
“ कई न्यूज चैनल में 15 से 16 वर्ष की आयु से लेकर 18 से 20 वर्ष की आयु तक के कुछ लड़के वॉट्सऐप वगैरह के ग्रुप में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने जैसी बातें, नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक फोटो और नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो शेयर करने के …
Read More »समझदारी-सुवर्णा जाधव
राहुल की शादी हो गई वह भी खुश था कि उसे सुजाता जैसी पढी लिखी सुशिल पत्नी मिली ,जो मां का ख्याल भी रखती थी । घर में खुशी का माहौल था। धीरे-धीरे दिन बितने लगे और हर घर में होता है वैसे सास बहू की कहासुनी शुरू हो गई। …
Read More »अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी-सीमा रानी
‘अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी’अपनी पहचान बनाने के लिए,सर पर एक जुनून होता है।निस्वार्थ जग कल्याण के लिए,महत्त्वकांक्षी व्यक्ति जीता है।‘महत्त्वकांक्षा’ का अर्थ- उन्नति करने की प्रबल इच्छा, बड़ा बनने की इच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को लेकर कोईन कोई सपना देखता है। अधिकांश लोग केवल सपने ही …
Read More »वर्तमान समय में हिंदू त्योहारों का बदलता स्वरूप
धन्य है वह देश, धन्य है वह प्रदेश, धन्य है वह धरती, और धन्य है वह भारतीय संस्कृति, जहा मानव को उच्च उदार और भगवत भक्त बनाने में सहायक व्रत और त्योहारों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। कालिदास ने उचित कहा है…. *उत्सव प्रिया: खलु …
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