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Tag Archives: साहित्‍य सरोज

हम ऐसे क्यों हैं-नरेन्द्र कुमार

हम ऐसे क्यों हैं-नरेन्द्र कुमार

हमारा कहने का अभिप्राय है विभिन्नता , कोई काला , कोई गोरा , कोई लम्बा, कोई नाटा प्रत्येक मानव , यहाँ तक प्रत्येक जीव-जंतु में भी विभिन्नता पाई जाती है। जब ऊपरी बनावट और आंतरिक संरचना को छोड़ दे तो हम देखते हैं कि सभी के स्मृति में भी अंतर …

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बहन की डोली

बहन की डोली

 नवंबर माह की गुलाबी ठंड से मौसम  खुशनुमा हो रहा था ।एसे में  स्वर्गीय माथुर साहब की बेटी की शादी की रौनक माहौल को और आकर्षक बना रही थी ,दरवाजे पर सजावट हो रही थी,  अंदर से ढोलक की थाप पर  सुहाग बन्नी गाई जा रही थी । मगर मिसेज …

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नई वंदेभारत एक्सप्रेस का शुभारंभ

नई वंदेभारत एक्सप्रेस का शुभारंभ

रविवार 2अप्रैल , 2023 को एक नई वंदेभारत एक्सप्रेस का शुभारंभ हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रानी कमलापत भोपाल के लिए हुआ। आधुनिक साजोसज्जा से परिपूर्ण पूर्णत: भारत मे निर्मित इसट्रेन की गति अन्य वंदेभारत ट्रेनों से अधिक होगी।सप्ताह में छ: दिन इसका संचालन होगा और शनिवार को यह ट्रेन …

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अलविदा कुंती-कमल चंद्रा

अलविदा कुंती-कमल चंद्रा

“कुंती! ये कॉफ़ी दीदी को रूम में दे आना”। “कुंती! ये फाइल जरा टेबिल पर रखदो न”। “कुंती! जरा एक ग्लास पानी तो पिला दे यार”। घर में सभी से चर्चा कर उसे बुलाने का कह दिया। अगले दिन शाम को ही चौकीदार दादा अपने साथ 13-14 साल की गोरी …

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समीक्षा- गुलाबी कमीज़ रहस्य रोमांच से भरपूर उपन्यास

समीक्षा- गुलाबी कमीज़ रहस्य रोमांच से भरपूर उपन्यास

उपन्यास-गुलाबी कमीज़  उपन्यासकार- कामना सिंह  प्रकाशक- भारतीय ज्ञानपीठ, 18- इंस्टीट्यूशनल एरिया, लोधी रोड, नई दिल्ली- 110033 मोबाइल नंबर 93505 36020 पृष्ठ संख्या- 135  मूल्य- ₹270 बच्चों के लिए उपन्यास लिखना टेढ़ी खीर है। इसको लिखते समय बहुतसी बातों का ध्यान में रखना पड़ता है। उसका कथानक बड़ों से अलग होता …

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यौन अपराध-अशिक्षा से बढ़ते दुष्कर्म

यौन अपराध-अशिक्षा से बढ़ते दुष्कर्म

“ कई न्यूज चैनल में  15 से 16 वर्ष की आयु से लेकर 18 से 20 वर्ष की आयु तक के कुछ लड़के वॉट्सऐप वगैरह के ग्रुप में नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार करने जैसी बातें, नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक फोटो और नाबालिग लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो शेयर करने के …

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समझदारी-सुवर्णा जाधव

समझदारी-सुवर्णा जाधव

 राहुल की शादी हो गई वह भी खुश था कि उसे सुजाता जैसी पढी लिखी सुशिल पत्नी मिली ,जो मां का ख्याल भी रखती थी । घर में खुशी का माहौल था। धीरे-धीरे दिन बितने लगे और हर घर में होता है वैसे सास बहू की कहासुनी शुरू हो गई। …

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बिखरी राहें -मिनाक्षी

बिखरी राहें -मिनाक्षी

राहें बिखरी हुई थी फूल और कांटे सजे हुए थे किसीने राहों मैं फिर कांटे ही कांटे बिछा दिएपैर हुए लहू लुहान दिल को किया कठोरजिंदगी बनी कारावाससजा जो मुक्कमल की गयी वो यह थीउनकी हंसी की पात्र बनीअपनी बेबसी की गुलाम हुईचुप चाप एक तमाशबीन की तरहहर पल अपने खोजती रहीउदासी मेरी जीवन की …

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अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी-सीमा रानी

अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी-सीमा रानी

‘अति महत्त्वकांक्षा की भेंट चढ़ती ज़िंदगी’अपनी पहचान बनाने के लिए,सर पर एक जुनून होता है।निस्वार्थ जग कल्याण के लिए,महत्त्वकांक्षी व्यक्ति जीता है।‘महत्त्वकांक्षा’ का अर्थ- उन्नति करने की प्रबल इच्छा, बड़ा बनने की इच्छा है। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को लेकर कोईन कोई सपना देखता है। अधिकांश लोग केवल सपने ही …

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वर्तमान समय में हिंदू त्योहारों का बदलता स्वरूप

वर्तमान समय में हिंदू त्योहारों का बदलता स्वरूप

        धन्य है वह देश, धन्य है वह प्रदेश, धन्य है वह धरती, और धन्य है वह भारतीय संस्कृति, जहा मानव को उच्च उदार और भगवत भक्त बनाने में सहायक व्रत और त्योहारों को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। कालिदास ने उचित कहा है….  *उत्सव प्रिया: खलु …

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