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स्‍थाई स्‍तंभ

सूर्ययान आदित्य

सूर्ययान आदित्य

सूर्यदेव तपलीन हैं, बीते अरबों वर्ष।  ठान लिया ‘आदित्य ‘ने, दर्शन करूँ सहर्ष।  सूर्यदेव के विषय में, पढ़ा शास्त्र – साहित्य।  खोज खबर लेने वहाँ, पहुँचेगा आदित्य।  जाएगा आदित्य सुत, सूर्य पिता के पास।  विंदु लैंग्रेज – एक से, राज खुलेंगे खास । निकट लैंग्रेज विंदु पर, नहीं गुरुत्व प्रभाव।  …

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प्यारी बहना

प्यारी बहना

बहन की रक्षा करने का है,  दृढ़  संकल्प हमारा।  साथ पलें हैं साथ बढ़े हैं, प्यार हमारा न्यारा। कभी झगड़ते ,कभी मचलते, कभी करें शैतानी। दिन दिन भर हम बात करें ना, थी कितनी नादानी? जब से बिछुड़े हम दीदी से, सब कुछ सूना लगता। कैसे मैं बतलाऊँ दीदी, दिन …

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ज्ञान का दीपक

ज्ञान का दीपक

ज्ञान का दीपक वो जलाते हैं, माता पिता के बाद वो आते हैं। माता देती हैं हमको जीवन, पिता करते हैं हमारी सुरक्षा, लेकिन जो जीवन को सजाते हैं, वही हमारे शिक्षक कहलाते है।| शिक्षक बिना न ज्ञान है, शिक्षक बिना न मान है, हमारा जीवन सफल बनाते हैं, ज्ञान …

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दिल की बात -पूनम झा

दिल की बात -पूनम झा

जब कभी अकेले बैठते हैं हम,मन के पिटारे खोल लेते हैं हम,हर पिटारे का अलग ही रंग होता है,सबका ही अलग-अलग ढंग होता है,कुछ जाने-पहचाने,कुछ अनजाने से होते हैं,जाने-पहचाने तो अब बेगाने से लगते हैं,अनजानों का बोल-बाला है,खुला जैसे उसका ही ताला है,मन को भी बतियाते सुनते हैं,पिटारे भी कुछ ऐसे कहते हैं,एक पिटारे से…कितने …

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डाॅ बिपिन पाण्डेय की कविताएं

डाॅ बिपिन पाण्डेय की कविताएं

करनी होगी जंग दहशत भरकर दुनिया में जो,करते हैं जीवन बेरंग।करनी होगी उनसे जंग।डाल  गले में  पट्टा  घूमें,लगता जैसे धर्म अफीम।गर्हित सोच बवंडर लाती,घूमें  बच्चे बने यतीम।जो मजहब की  पगड़ी बाँधे,चले न कोई उनके संग।वहशी लोगों के प्रति जिनकेउमड़ रहा है दिल में प्यार,ऐसे लोगों को नरता का,माना जाता है …

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दिल की बात-डॉ वर्षा महेश

दिल की बात-डॉ वर्षा महेश

कमलेश द्विवेदी काव्‍य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात।निर्जन मन की आशा तुम कोरे कागज़ की जिज्ञासा तुम तरस रहा मन मीत मिलन को इस पलाश की अभिलाषा तुम! बरसों से है मन की प्यास बड़ी दूर किनारे  प्रीत की नांव खड़ी  जलतरंग है मन का सूना- सूना  …

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दिल की बात-विजयानंद विजय

दिल की बात-विजयानंद विजय

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता – 02 गीत शीर्षक – दिल की बात एहसासों की तपिश लिए, मैं ढूँढ़ूँ  साँसों-साँसों  में। बैठे – बैठे  देख  रहा हूँ, ख़्वाब तुम्हारी आँखों में। यादों  के  रपटीले  पल, जब अपनी ओर बुलाते हैं। कतरा-कतरा घुल जाता, मधुमास तुम्हारी आँखों में। सपनों की उन गलियों …

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उस रात नहीं मैं रोया

उस रात नहीं मैं रोया

जब बालक सा व्याकुलतेरी गोद में छिपकर सोयाउस रात नहीं मैं रोया। जीवन के दुख सारे भूलहर्षित मन बरसाये फूलविस्मृत करके सारे हारनोन जैसे जल में खोयाउस रात नहीं मैं रोया। पथ कंटकित नहीं याद कियास्वर्ग भी नहीं फरियाद कियागतिमान बन किरणों जैसेभार दर्द नहीं  मैं ढोयाउस रात नहीं मैं …

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प्रेम में डूबी स्त्री-संदीप

प्रेम करके दरअसल अपने जीवित होने का यकीन दिलाती है खुद को कि अभी भी संवेदनाएं जीवित हैं वह चेतनाविहीन,कठपुतली, फर्नीचर सी नही बनी है अभी सबके प्रयत्न के बाद भी नही छोड़ती है वह अपने अस्तित्व की लकीर प्रेम करती स्त्री गुलाब हो जाती है वह हवा,अहसास,जल सी निर्मल …

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दोस्‍ती न हो-संदीप

दोस्ती न हो कृष्ण सुदामा सी, जहां सदा रहे एक याचक न हो दोस्ती कर्ण दुर्योधन सी जो खड़े रहे अन्याय के पक्ष में दोस्ती कभी नही होती पति पत्नी में भी जान एक दूसरे के अवगुणोंको कभी न करते लिहाज ,बस वार पर वार दोस्ती न हो कभी हाकिम …

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