कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्दनिष्ठा स्कूल से आई और अपना बस्ता चटाई पर रखते हुए कहती है, “अम्मा देखो न बाबा के हाथों में कितनी कला भरी है । मैं तो बचपन से देखती आ रही हूँ कि बाबा कितनी …
Read More »प्रहार-शीला की कहानी
जब से रामदयाल जी की पत्नी का स्वर्गवास हो गया और वह अपने दोनों बेटों के यहां रहने लगे तब अक्सर बेटों के घर में उनकी पत्नियों से तकरार होती रहती थी पर वह समझ नहीं पाते थे कि आखिर क्या बात है? रामदयाल जी के दो बेटे किशन और …
Read More »पब्जी और प्रियतमा- विनोद कुमार विक्की
(हास्य-व्यंग्य ) जब से पब्जी खेलने वाले सचिन की जीवन में सीमा पार कर सीमा का पदार्पण हुआ है तब से आनलाइन गेम के प्रति पोपट चचा की आस्था बढ़ गई। मीडिया से मंडी तक सीमा और सचिन तथा उनके …
Read More »उस रात नहीं मैं रोया
जब बालक सा व्याकुलतेरी गोद में छिपकर सोयाउस रात नहीं मैं रोया। जीवन के दुख सारे भूलहर्षित मन बरसाये फूलविस्मृत करके सारे हारनोन जैसे जल में खोयाउस रात नहीं मैं रोया। पथ कंटकित नहीं याद कियास्वर्ग भी नहीं फरियाद कियागतिमान बन किरणों जैसेभार दर्द नहीं मैं ढोयाउस रात नहीं मैं …
Read More »अर्चना की बनारसी साड़ी
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द “सिया….जल्दी रसोईघर में आ जाओ बेटा…याद है न? आज रविवार है…”हाँ, हाँ डैड,….आज संडे है, तो आज माॅम की पसंद का कश्मीरी छोले और राइस बनेगा। ““यस। …सिया, यू नो? खाना बनाना भी एक आर्ट …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ प्रदीप
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द पहली तनख्वाह मिलते ही रमेश सीधा जा पहुँचा उस कस्बेनुमा एक छोटे से शहर रायपुर के स्टेशन रोड पर स्थित अपने पिता जी की छोटी – सी चाय – नास्ते की दुकान पर। रुपयों से …
Read More »बनारसी साड़ी- गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द वह देवदूत सा आया था जीवन में। “देवदूत!” बड़े मध्यमी से होते हैं हम मध्यम वर्ग वाले। पल में तोला पल में माशा। ना पूरे काइयां कंजूस, ना पूरे उदार।निम्न के यथार्थ की ज़मीन और …
Read More »जब मैं छोटी बच्ची थी-गरिमा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। बड़े से महानगर में उनका घर छोटा सा था। घर के बाहर एक कटहल का पेड़ था।वह एक बंगाली परिवार था। मेरे नाना के घर के ठीक सामने वाला घर। गर्मियों में जब हम अपने …
Read More »कोई सुनता भी होगा-गरिमा जोशी पंत
कमलेश द्विवेदी काव्य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात। कभी धूप के उछाह कीचाह कीकभी बादल के फाहे कीचाह की।चाहा कभी भीगूंबारिशों में तरबतरकभी प्रेम की खिलीधूप में छीलूं मटर।हरी दूब पर नंगेपांव झूमती चलूंपढ़ एक प्रेम कविताकि मैं कली सी खिलूंमेरे जैसे कोई औरभी ऐसे ख्वाब बुनता …
Read More »जब मैं छोटा बच्चा था-डॉ. प्रदीप कुमार
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 जब मैं छोटा बच्चा था (संस्मरण)। शब्द सीमा- 700-1000 शब्द। यह बात तब की है, जब मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था । एक दिन पिताजी ने मुझे अपने पास बुलाकर कहा, “बेटा प्रदीप, अब तुम बड़े हो चुके हो । तुम्हारी दीदी भी शादी …
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