सूर्यदेव तपलीन हैं, बीते अरबों वर्ष। ठान लिया ‘आदित्य ‘ने, दर्शन करूँ सहर्ष। सूर्यदेव के विषय में, पढ़ा शास्त्र – साहित्य। खोज खबर लेने वहाँ, पहुँचेगा आदित्य। जाएगा आदित्य सुत, सूर्य पिता के पास। विंदु लैंग्रेज – एक से, राज खुलेंगे खास । निकट लैंग्रेज विंदु पर, नहीं गुरुत्व प्रभाव। …
Read More »प्यारी बहना
बहन की रक्षा करने का है, दृढ़ संकल्प हमारा। साथ पलें हैं साथ बढ़े हैं, प्यार हमारा न्यारा। कभी झगड़ते ,कभी मचलते, कभी करें शैतानी। दिन दिन भर हम बात करें ना, थी कितनी नादानी? जब से बिछुड़े हम दीदी से, सब कुछ सूना लगता। कैसे मैं बतलाऊँ दीदी, दिन …
Read More »किशोरावस्था का सपना
रिया को किशोरावस्था से ही बनारसी साड़ी पहनने की बहुत इच्छा थी। जब वह अपनी माँ की मालकिन को किसी भी आयोजन में बनारसी साड़ी पहनकर जाते देखती तो उसके अंदर की इच्छा ओर भी प्रबल हो जाती परंतु माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी …
Read More »ऑनलाइन हैं बच्चे-डॉ राकेश चक्र
यत्र – तत्र – सर्वत्र बच्चों को ऑनलाइन देखा जा सकता है। बच्चों का जीवन और उनकी दिनचर्या पूरी तरह बदली – बदली नजर आ रही है । पहले माता – पिता ने बच्चों को खेल – खेल में मोबाइल पकड़ाया और कंप्यूटर पर बैठाया तथा अब बिना मोबाइल बच्चों …
Read More »वर्तमान समय में शिक्षकों के समक्ष चुनौतियाँ
शिक्षक दिवस पर विशेष लेख परिचय-शिक्षण को अक्सर एक उत्तम कार्य माना जाता है, और शिक्षकों को समाज में ज्ञान और प्रगति का पथप्रदर्शक माना जाता है। भारत में, जहां शिक्षा को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, शिक्षक देश के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालाँकि, …
Read More »हम भी ज़िंदा हैं-डॉ प्रिया सूफ़ी
भारत चांद पर पहुंच गया। पर क्या हमारा समाज भी इतना ही उन्नत हो पाया है? चलिए आज इसी पर विचार किया जाए। भारतीय समाज में आज भी भूत प्रेत की नौटंकी चली आ रही है। न जाने कितनी औरतें चुड़ैल घोषित कर मार दी जाती हैं और कितनी भूत …
Read More »बनारसी साड़ी-डॉ निशा
कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -02 कहानी शीर्षक – बनारसी साड़ी। शब्द सीमा – 500 शब्द एक बार की बात है, बनारस की गलियों एक छोटे से दुकान में अनुपमा काम करती थी । वह बड़े साधारण दिखने वाली हिला थी, वह अपने मीठी जबान से और बनारसी साड़ियों की काफी …
Read More »पुष्प’-‘मधुप’ जयपुर में ग्लोबल एक्सेलेंसी अवार्ड – 2023
नई दिल्ली – श्री राम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में कार्यरत प्रतिष्ठित व्यंग्यकार एवं कवि प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’ एवं वरिष्ठ हिंदी शिक्षिका एवं प्रख्यात बाल साहित्यकार डॉ. सुधा शर्मा ‘पुष्प’ को जयपुर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन और ग्लोबल …
Read More »ज्ञान का दीपक
ज्ञान का दीपक वो जलाते हैं, माता पिता के बाद वो आते हैं। माता देती हैं हमको जीवन, पिता करते हैं हमारी सुरक्षा, लेकिन जो जीवन को सजाते हैं, वही हमारे शिक्षक कहलाते है।| शिक्षक बिना न ज्ञान है, शिक्षक बिना न मान है, हमारा जीवन सफल बनाते हैं, ज्ञान …
Read More »दिल की बात -पूनम झा
जब कभी अकेले बैठते हैं हम,मन के पिटारे खोल लेते हैं हम,हर पिटारे का अलग ही रंग होता है,सबका ही अलग-अलग ढंग होता है,कुछ जाने-पहचाने,कुछ अनजाने से होते हैं,जाने-पहचाने तो अब बेगाने से लगते हैं,अनजानों का बोल-बाला है,खुला जैसे उसका ही ताला है,मन को भी बतियाते सुनते हैं,पिटारे भी कुछ ऐसे कहते हैं,एक पिटारे से…कितने …
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