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पर्यावरण का महत्व संस्मरण

पर्यावरण का महत्व संस्मरण

पर्यावरण का महत्व संस्मरण गोपाल राम गहमरी पर्यावरण सप्‍ताह पेड़ के आभाव में बचपन और मानव जीवन प्रभावित प्रदूषित वायु पर्यावरण संक्रमण अतिशौध, बात उस वक्त की है जब मैं और मेरा परिवार गर्मियों की छुट्टी में छुट्टियां गुजारने टाटा जमशेदपुर बिहार में हम अपनी टाटा सफारी में आनंद करते …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण-कुंदन पाटिल

पर्यावरण पर संस्‍मरण-कुंदन पाटिल

बात चालिस पैंतालीस वर्षों की बनीं लम्बी कहानी है। मैं तब छोटा बच्चा ही था और हमारे घर के दक्षिण दिशा की ओर एकं विशाल घना पिपल का विशाल वृक्ष था। जो गर्मी के दिनों में दोपहर 3 बजे बाद से यह पिपल की सीतल छाया हमारे घर आंगन में …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण-शिवा सिंहल

पर्यावरण पर संस्‍मरण-शिवा सिंहल

गर्मी की तपन लूं भरी उमस ने दम निकला है। ऐसी कूलर भी लगाए, मगर कोई काम नहीं आया है। बहुत समय पहले हम अपनी दीदी के ससुराल शादी की सालगिरह मनाने गए थे। गर्म हवाओं से बदन जल रहा था, 1 दिन में ही धमोरिया ने बदन लाल कर …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण -हेमलता दाधीच

पर्यावरण पर संस्‍मरण -हेमलता दाधीच

आज बचपन की एक घटना याद आई जो गाँव जाते ही याद आ जाती है। पर्यावरण के पांच तत्वों में पानी की भी सबसे अहम भूमिका है। पेड़ो को हरा-भरा रखने बडा़ होने के लिये पानी सींचना आवश्यक बहुत है वरना वो सूख जायेगें। इसी तरह इस भयानक लू लपटों …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण-सीमा सिन्‍हा

पर्यावरण पर संस्‍मरण-सीमा सिन्‍हा

इस वर्ष की गर्मी ने मेरे जीवन में एक विशेष स्थान बना लिया है। बचपन में गर्मी का मौसम अक्सर छुट्टियों और मौज-मस्ती का समय होता था। आइसक्रीम, आम के फल, और दादी के हाथ की बनी ठंडी खीर, ये सब चीजें गर्मी के दिनों को खुशनुमा बनाती थीं। परन्तु …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण-विजय मिश्र

पर्यावरण पर संस्‍मरण-विजय मिश्र

बात लगभग साठ वर्ष पहले की है।गर्मियों में तब से लेकर अब तक मैं अपने गाँव में ही रहता आया हूँ।मेरा बचपन गाँव में ही बीता है।मुझे वे दिन याद हैं जब मैं अपने सहपाठियों के साथ मिडिल स्कूल में पढ़ने के लिए पैदल जाया करता था।हम लोग गर्मी के …

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मानव और पर्यावरण का संबंध-मंजू राज

मानव और पर्यावरण का संबंध-मंजू राज

मानव और पर्यावरण का परस्पर सम्बन्ध एक वो समय था ,जब वृक्षों को अपना मित्र , साथी और हमसाया समझा जाता था औरउन्हें कटने से बचाने के लिए आंदोलन भी चलाया गया ।ताकि हमारे आस – पास का वातावरण साफ़ , स्वच्छ और पवित्र बना रहे ।हर प्राणी मात्र शुद्ध …

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रोते हुए मेरे गाँव-अरूणा

रोते हुए मेरे गाँव-अरूणा

विद्यालयों में ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू हो गए थे।मैथिली पिछले पाँच वर्ष से एक निजी विद्यालय में नौकरी कर रही थी।रघुवीर भी मल्टीनेशनल कंपनी में मैंनेजर है।मैथिली को काम करने की आवश्यकता नहीं थी,पर उच्च शिक्षा का कुछ अच्छा उपयोग हो और उसका समय भी कट जाए,इसलिए उसने तय कर रखा …

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पर्यावरण पर प्रेम दास वसु सुरेखा का आलेख

पर्यावरण पर प्रेम दास वसु सुरेखा का आलेख

ये राजस्थान है जहां धूल उड़ती है और पानी को तरसते हैं लोग। कब नसीब होगा वो सुख जब समान जीने का अधिकार मिलेगा । ये वीरों की भूमि राजस्थान और पानी को तरसते वीर, फिर भी इसका यश, गौरव सिरमोर है क्यों ,क्या है इसमें ऐसा लोग सुबह जल्दी …

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