केजी वाला प्यार हो या हो एच एस वाला प्यारसताती याद हो उसकी या बन कर आई घरवाली/घरवालालिख भेजीये अब की वेलन्टाइन हमेंकहानी प्यार की अपने01 फरवरी 2023 तकsarojsahitya55@gmail.com पर
Read More »मेदपाट का प्रथम दिवस का आयोजन उदयपुर में सम्पन्न
राजस्थानी संस्कृति और कला के संरक्षण के लिए शहीद सीएस राठौड़ फाउंडेशन और केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम मेदपाट का प्रथम दिवस का आयोजन उदयपुर स्थित विज्ञान समिति में हुआ। प्रथम दिवस में आयोजित मांडना मेहंदी और वात (कैणी) प्रतियोगिता में विभिन्न …
Read More »ग़ज़ल कुंभ 2023 संपन्न
हरिद्वार : बसंत चौधरी फाउंडेशन, नेपाल के सौजन्य से हरिद्वार में मकर संक्रांति के पर्व पर दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने किया। चार सत्रों में हुए इस दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ में देशभर से पधारे लगभग 150 …
Read More »काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़े रोचक तथ्य…
1. सर्वप्रथम प्रयाग राज की सड़कों पर अपने अभिन्न मित्र बाबू गंगा प्रसाद वर्मा और सुंदरलाल के साथ घूमते हुए मालवीय जी ने हिन्दू विश्वविद्यालय की रूपरेखा पर विचार किया। 2. 1904 ई में जब विश्वविद्यालय निर्माण के लिए चर्चा चल रही थी तब कइयों ने इसकी सफलता पर गहरा …
Read More »गुप्तकथा-गोपाल राम गहमरी
पहली झाँकी जासूसी जान पहचान भी एक निराले ही ढंग की होती है। हैदर चिराग अली नाम के एक धनी मुसलमान सौदागर का बेटा था। उससे जासूस की गहरी मिताई थी। उमर में जासूस से हैदर चार पाँच बरस कम ही होगा, लेकिन शरीर से दोनों एक ही उमर …
Read More »राजा रामपाल-गोपाल राम गहमरी
राजा रामपाल सिंह हिन्दी के प्रमियों मे थे। उन्होंने विलायत में 14 वर्ष प्रवास किया था। वहां से हिन्दी और अंगरेजी में एक साप्ताहिक पत्रा ‘हिन्दोस्थान’ निकालते थे। आपने स्वदेश लौटकर हिन्दी में पहले पहल ‘ हिन्दोस्थान’ दैनिक निकाला था उसके पहले कानपुर से ‘भारतोदय’ कुछ दिनों तक उदय …
Read More »होली का सपना -गोपाल राम गहमरी
आज आंखें क्या लगीं, होनहार ही होनहार दिखाई देने लगा। ठीक जैसे पुराने जमाने का रसांजन या सिद्धांजन लगाने से धरती के गड़े खजाने लोगांे को दिखाई देते थे। वैसे ही आज नींद ने मेरी आंखें क्या बंद की, मानो होनहार देखने के लिए ज्ञान की भीतरी आंखें खोल दी। …
Read More »मैं पिंकी हूँ
पिंकी प्रजापति मैं एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में पैदा हुई, पिताजी तीन भाई थे । भाइयों में सबसे बड़े हमारे ही पिता जी थे जो पेशे से होमगार्ड और किसान थे । मैं उनकी पहली संतान थी । सबसे बड़े होने के नाते मुझे बहुत जल्दी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया …
Read More »चिराग तले अंधेरा -मिन्नी मिश्रा
मिन्नी मिश्रा रात होने वाली थी।झुग्गी में रहने वाले दीपक की नजरें बार बार सामने खड़े आलीशान बंगले पर जाकर चिपक जाती। वाह!कितने अमीर हैं ये लोग ,भाग्य के धनी भी! सब कुछ है इनके पास।वह बंगला रंग-बिरंगी चाइनीज लड़ी से सजकर जगमगा रहा था! अनारदाने और रॉकेट की तेज …
Read More »वो अब भी याद आती है- नीलिमा तिग्गा
कार चलाते-चलाते थकान होने पर मनीष सामने के ही ढ़ाबे पर चाय पिने चला गया I चाय आने तक वह ब्रिफकेस से सिगरेट का पैकेट निकालकर उसमें से एक सिगारेट उसने मूँह में लगाईं और लायटर के लिए जेब टटोलने लगा I शायद वह कार में ही छूट गया था …
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