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बाल साहित्य कीभूमिका -स्‍वर्ण ज्‍योति

बाल साहित्य कीभूमिका -स्‍वर्ण ज्‍योति

आज बाल साहित्य एक संपूर्ण चिंतन या विमर्श का रूप धारण कर चुका है। इसके विविध पहलुओं पर अलग-अलग मंचों से इतनी चर्चा हो चुकी है कि अब इसे एक गंभीर रचना –कर्म के साथ-साथ एक सामाजिक कर्म के रूप में भी स्वीकार किया जाने लगा है । परंतु  क्या …

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कैसा बचपन-नीलम सारंग

कैसा बचपन-नीलम सारंग

दस साल  का अरनव खीझ रहा था एलेक्सा पर,  जब देखो जैसा  बोलो वैसा ही करती रहती है । मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा साथ ।  मम्मी भी ना,  कहो कुछ करती कुछ है । खुद के पास तो समय है नहीं और मुझे फ्रेंड भी ढूंढ कर दिया तो यह …

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नारी सशक्तिकरण -डा0 प्रिया सूफी

नारी सशक्तिकरण -डा0 प्रिया सूफी

नारी सशक्तिकरण मुझे सर्वप्रथम एक मूलभूत ऐतराज़ इसी बात पर है कि नारी जोकि स्वयं शक्ति स्वरूपा है , उसके सशक्तिकरण का नारा क्यों कर दिया जाता है ? इस आधुनिक युग में जहाँ हर वस्तु, व्यक्ति, सोच और विचारधारा प्रगति के पथ पर अग्रसर है वहां नारी की शक्ति …

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  • फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    प्रिय, रज्जु जब से तुम मेरी ज़िन्दगी में आए हो, सब कुछ बदल गया है। जैसे कोई अच्छा स्वास्थ्य हमारे शरीर को संतुलन देता है, वैसे ही तुमने मेरे दिल को सुकून दिया है। तुम मेरे जीवन का वह योग हो, जो मुझे मानसिक और भावनात्मक शांति प्रदान करता है। …

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  • फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    प्रिय, रज्जु जब से तुम मेरी ज़िन्दगी में आए हो, सब कुछ बदल गया है। जैसे कोई अच्छा स्वास्थ्य हमारे शरीर को संतुलन देता है, वैसे ही तुमने मेरे दिल को सुकून दिया है। तुम मेरे जीवन का वह योग हो, जो मुझे मानसिक और भावनात्मक शांति प्रदान करता है। …

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  • फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    फिटनेस कोच का प्रेमपत्र-रेखा

    प्रिय, रज्जु जब से तुम मेरी ज़िन्दगी में आए हो, सब कुछ बदल गया है। जैसे कोई अच्छा स्वास्थ्य हमारे शरीर को संतुलन देता है, वैसे ही तुमने मेरे दिल को सुकून दिया है। तुम मेरे जीवन का वह योग हो, जो मुझे मानसिक और भावनात्मक शांति प्रदान करता है। …

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