हिंदी के महान सेवक, उपन्यासकार तथा पत्रकार ने वर्षों तक बिना किसी सहयोग के ‘जासूस’ …
Read More »प्रेरणा-प्रिया देवांगन
एक साहित्यकार पिता ने अपनी पुत्री से कहा- “बिटिया सुनो तो।” “हाँ, पापा क्या हुआ?” एक छोटी सी बच्ची दौड़ कर आई। “आज मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं। बैठो ज़रा मेरे पास। मैं तुम्हें सुना रहा हूँ।” पिताजी बोले। “अच्छा! जी पापाजी।” बालिका ने बड़े ध्यान से …
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