हिंदी के महान सेवक, उपन्यासकार तथा पत्रकार ने वर्षों तक बिना किसी सहयोग के ‘जासूस’ …
Read More »बिखरी राहें -मिनाक्षी
राहें बिखरी हुई थी फूल और कांटे सजे हुए थे किसीने राहों मैं फिर कांटे ही कांटे बिछा दिएपैर हुए लहू लुहान दिल को किया कठोरजिंदगी बनी कारावाससजा जो मुक्कमल की गयी वो यह थीउनकी हंसी की पात्र बनीअपनी बेबसी की गुलाम हुईचुप चाप एक तमाशबीन की तरहहर पल अपने खोजती रहीउदासी मेरी जीवन की …
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